आप का स्वागत है हमारे Achiverce Information में यहाँ पर हम परीक्षा से सम्बन्धित कई पोस्ट डालते है । तो आज का Topic है हमारे सौर मंडल के ग्रहों का पूरा विवरण से सम्बन्धित कुछ रोचक तथ्य के बारें में लिखा है।
(2)ब्रह्माण्ड के बारे में हमारा बदलता दृष्टिकोण(Our changing view of the universe)
(3) सौरमंडल क्या है(What is solar system)
(4) सौरमंडल के ग्रहग्रह(Planets of the Solar System)
(4.1) सूर्य(Sun)
(4.2) बुध(Mercury)
(4.3) शुक्र(Venus)
(4.4) पृथ्वी(Earth)
(4.5) मंगल(Mars)
(4.6) बृहस्पति(Jupiter)
(4.7) शनि(Saturn)
(4.8) अरूण(Uranus)
(4.9) वरूण(Neptune)
जैसा की हम सभी को पता है की हमारे सौरमण्डल में आठ ग्रह पाॅंच बौने ग्रह,तथा कई प्रकार की उल्कापिंड,धूमकेतु आदि पाए जाते है।
(1) ब्रह्माण्ड क्या है?( What is universe?)
ब्रह्माण्ड हमारे सोच से कई ज्यादा गुणा बड़ा हैं जिसकी जानकारी आज भी वैज्ञानिको को चुका देती हैं। ब्रह्माण्ड अपने अंदर कई राज को दबाएं बैठा है जिसमे से वैज्ञानिक कुछ ही रहस्यों से परदा उठाने पाए हैं।ब्रह्माण्ड को समझना वैज्ञानिको के लिए आज भी एक रहस्य है। वैज्ञानिको द्वारा ब्रह्माण्ड को कई तरीके से परिभाषित किया गया है।
अस्तित्वमान द्रव्य एवं ऊर्जा के सम्मिलित रूप को ब्रह्माण्ड कहते हैं।
दूसरे शब्द में कहे सूक्ष्मतम अणुओं से लेकर महाकायआकाशगंगाओं तक के सम्मिलित स्वरूप को ब्रह्माण्ड कहा जाता है।
(2) ब्रह्माण्ड के बारे में हमारा बदलता दृष्टिकोण।(Our changing view of the universe)
प्रारंभ में पृथ्वी को सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का केन्द्र माना जाता था जिसकी परिक्रमा सभी आकाशीय पिंड विभिन्न कक्षाओं में करते थे। इसे भू-केन्द्रीय सिध्दान्त कहा गया। इसका प्रतिपादनमिस्त्र-यूनानी खगोलशास्त्री क्लाडियस टाॅलमी ने किया था
इसके बाद पोलैंड के खगोलशास्त्री निकोलस काॅपरनिकस ने यह दर्शाया कि सूर्य ब्रह्माण्ड के केन्द पर है तथा ग्रह इसकी परिक्रमा करते हैं। अतः सूर्य विश्व या ब्रह्माण्ड का केन्द्र बन गया। इसे सूर्यकेन्द्रीय सिध्दान्त कहा गया।
इस प्रकार कई खगोलशास्त्रियों कई प्रकार का अध्ययन किया और सभी ने सूर्य को ही ब्रह्माण्ड का केन्द्र माना।
लेकिन 20वीं शताब्दी के आरंभ में जाकर हमारी मंदाकिनी दुग्धमेखला (Milkyway) की तस्वीर स्पष्ट हुई।सूर्य को इस मंदाकिनी के एक सिरे पर अवस्थित पाया गाया। इस प्रकार सूर्य को ब्रह्माण्ड के केन्द्र पर होने का गौरव समाप्त हो गया।
(3) सौरमंडल क्या है(What is solar system)
सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने वाले विभिन्न ग्रहों, क्षुद्रग्रहों, धूमकेतुओं, उल्काओं तथा अन्य आकाशीय पिंडों के समूह को सौरमंडल कहते हैं।सौरमंडल में सूर्य का प्रभुत्व है, क्योंकि सौरमंडल निकाय के द्रव का लगभग 99.999 द्रव सूर्य में निहित है।
(4) सौरमंडल के ग्रहग्रह(Planets of the Solar System)
(4.1) सूर्य(Sun)
सूर्य सौरमंडल का प्रधान है। यह हमारी मंदाकिनी दुग्धमेखलाके केन्द्र से लगभग 30,000 प्रकाशवर्ष की दूरी पर एक कोने में स्थित है।
सूर्य के केन्द्र पर चार हाइड्रोजन नाभिक मिलकर एक हीलियम नाभिक का निर्माण करता है। अर्थात सूर्य के केन्द्र पर नाभिकीय संलयन होता है जो सूर्य के उर्जा का स्त्रोत है।
सूर्य की उम्र 5 बिलियन वर्ष है। सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक पहुॅंचने में 8 मिनट 16.6 सेकेंड का समय लगता है।
सूर्य का व्यास 13 लाख 92 हजार कि. मि. जो पृथ्वी के व्यास का लगभग 110 गुना है।
सूर्य हमारी पृथ्वी से 13 लाख गुना बड़ा है, और पृथ्वी को सूर्यताप का 2 अरबवांभाग मिलता है।
(4.2) बुध (Mercury)
यह सूर्य का सबसे नजदीकी ग्रह है, जो सूर्य के निकलने के दो घंटा पहले दिखाई पड़ता है। यह सबसे छोटा ग्रह है, जिसके पास कोई उपग्रह नहीं है। इसका सबसे विशिष्ट गुण इसमें चुम्बकीय क्षेत्र का होना
यह सूर्य की प्रतिक्रमा सबसे कम समय में पूरी करता है। अर्थात यह सौरमंडल का सर्वाधिक कक्षीय गति वाला ग्रह है।
यहाँ दिन अति गर्म व रात्रि बर्फीली होती हैं। इसका तापन्तर सभी ग्रहों में सबसे अधिक 611 डिग्री सेल्सियस है। इसका तापमान रात्रि में -184 डिग्री सेल्सियस व दिन में 427 डिग्री सेल्सियस हो जाता है।
(4.3) शुक्र (Venus)
यह पृथ्वी का निकटतम, सबसे चमकीला एवं सबसे गर्म ग्रह है। इसे सांस का तारा या भोर का तारा कहा जाता है क्योंकि यह शाम में पश्चिम दिशा में तथा सुबह में पूरब की दिशा में आकाश में दिखाई पड़ता है।
यह अन्य ग्रहों के विपरीत दक्षिणवर्त चक्रण करता है। इसे पृथ्वी का भगिनी ग्रह कहते हैं। यह घनत्व, आकार एवं व्यास में पृथ्वी के समान है। इसके पास कोई उपग्रह नहीं है।
(4.4) पृथ्वी (Earth)
पृथ्वी आकार में सौरमंडल का पांचवा सबसे बड़ा ग्रह है। यह अपने अक्ष पर 23.1/2 डिग्री झुकी हुई है। पृथ्वी पर ऋतु परिवर्तन, इसकी अक्ष पर झुके होनेके कारण होता है।
यह सौरमंडल का एकमात्र ग्रह है, जिस पर जीवन है। इसका एकमात्र उपग्रहचन्द्रमा है। इसका विषुवतीय व्यास 12,756 कि. मी. और ध्रुवीय व्यास 12,714 कि. मी.है।
जल की उपस्थिति के कारण इसे नीला ग्रह भी कहा जाता है। सूर्य के बाद पृथ्वी के सबसे निकट का तारा प्राॅक्सिमा सेन्चुरी है, जो अल्फा सेन्चुरी समूहका एक तारा है। यह पृथ्वी से 4.22 प्रकाशवर्ष दूर है।
Earth imge
(4.5) मंगल (Mars)
इसे लाल ग्रह कहा जाता है, इसका रंग लाल, आयरन ऑक्साइड के कारण है।
यहाँ पृथ्वी के समान दो ध्रुव है तथा इसका कक्षातली 25 डिग्री के कोण पर झुका हुआ है, जिसके कारण यहाँ पृथ्वी के समान ऋतु परिवर्तन होता है।
इसके दिन का मान एवं अक्ष का झुकाव पृथ्वी के समान है। यह अपनी धुरी पर 24 घंटे में एक बार पूरा चक्कर लगाता है, इसके दो उपग्रह है फोबोस और डीमोस है। सूर्य की परिक्रमा करने में इसे 687 दिन लगते है।
सौरमंडल का सबसे बड़ा ज्वालामुखी ओलिपस मेसी एवं सौरमंडल का सबसे ऊँचा पर्वत निक्स ओलम्पिया जो माउंट एवरेस्ट से तीन गुना अधिक ऊॅंचा है इसी ग्रह पर स्थित है ।
Mars image
(4.6) बृहस्पति (Jupiter)
यह सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। इसे अपनी धुरी पर चक्कर लगाने में 10 घंटा सबसे कम और सूर्य की परिक्रमा करने में 12 वर्ष लगते हैं। इसका व्यास 1,42,984 कि. मी. है।
इसके उपग्रहों कि संख्या 67 है, जिसमे से इसका उपग्रह ग्यानीमीड सभी उपग्रहों में सबसे बड़ा उपग्रह है इसका रंग पीला है।
(4.7) शनि (Saturn)
यह आकार में में दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है। इसकी विशेषता है इसके तल के चारों ओर वलय का होना (मोटी प्रकाश वाली कुंडली) वलय की संख्या 7 है। यह आकाश में पीले तारे के समान दिखाई पड़ता है।
इसके उपग्रह कि संख्या 62 है शनि का सबसे बड़ा उपग्रह टाइटन है जो सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा उपग्रह है। यह आकार में बुध के बराबर है। यह एकमात्र ऐसा उपग्रह है जिसका पृथ्वी जैसा स्वयं का सघन वायुमंडल है।
फोबे नामक शनि का उपग्रह इसकी कक्षा में घूमने की विपरीत दिशा में परिक्रमा करता है। इसका घनत्व सभी ग्रहों एवं जल से भी कम है। यानी इसे जल में रखने पर तैरने लगेगा।
(4.8) अरुण (Uranus)
यह सौरमंडल का तीसरा स्थान बड़ा ग्रह है। इसका तापमान -215 डिग्री सेल्सियस है। इसकी खोज 1781 ई. को बिलियन हर्शेल द्वारा किया गया।
इसके चारों और नौ वलयों में से पाॅंच वलयों का नाम अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा, और इप्सिलॅन है।
यह अपने अक्ष पर पूर्व से पश्चिम कि ओर घूमता है, जबकि अन्य ग्रह पश्चिम से पूर्व कि ओर घूमते है। यहाँ सूर्योदय पश्चिम ओर की ओर और सूर्यास्त पूर्व की ओर होता है।
यह अपने धुरी पर सूर्य की ओर इतना झुका हुआ है की लेटा सा दिखाई पड़ता है इसलिए इसे लेटा हुआ ग्रह भी कहते है। इसका सबसे बड़ा उपग्रह टाइटेनियम है।
(4.9) वरुण (Neptune)
इसकी खोज 1846 ई. जर्मन खगोलशास्त्री जहाॅन गाले ने की है। नई खगोलीय व्यवस्था के अनुसार यह सूर्य से सबसे दूर ग्रह है। यह हरें रंग का ग्रह है इसके चारों ओर अति शीतल मिथेन का बादल छाया हुआ है। इसके उपग्रहों में ट्रिटाॅन उपग्रह प्रमुख है।
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घन्यवाद
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Achiverce Information
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