मानचित्र का महत्त्व और उसका इतिहास


Maanachitr ka mahattv


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मानचित्र का महत्त्व और उसका इतिहास Maanachitr ka mahattv aur usaka itihaas

दोस्तों मानचित्र का महत्व आज के युग में ही नहीं बल्कि इतिहास में भी इसका काफी महत्व  रखता है ।

मानचित्र सूचना का प्रमुख स्रोत है और यह पृथ्वी के प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक लक्षणों को भली प्रकार दर्शाता है। यदि हम किसी इतिहास के बारे में सोचें तो हम यह कह सकते कि मानचित्रों का इतिहास मानव इतिहास से भी प्राचीन है। सभ्यता के विकास से ही हम किसी-न-किसी रूप में मानचित्रों का प्रयोग करते आए हैं।

इतिहास में मानचित्र का महत्व


हिन्दुओं, यूनानियों, बेबीलोनियनो, फिनीशियनों तथा अरबियों ने अपने-अपने समय में अपने-अपने क्षेत्रों के मानचित्रों की रचना की तथा उनका प्रयोग किया। विश्व का इतिहास साक्षी है कि युद्धों में विजय उन्हीं राष्ट्रों की हुई जिन्होंने मानचित्रों को बनाने और उनका अध्ययन करने में दक्षता प्राप्त की। 

हिटलर कहा करता था कि “मुझे किसी भी देश का विस्तृत मानचित्र दो और मैं इस पर विजय प्राप्त कर लूँगा।” द्वितीय विश्व युद्ध में अकेले अमेरिका की सेना मानचित्र सेवा (Army Map Service) ने लगभग 40,000 मानचित्र बनाए और लगभग 50 करोड़ प्रतियों का वितरण किया।

वर्तमान में मानचित्र कला में उन्नति के परिणामस्वरूप मानचित्र अधिक शुद्ध हो गए हैं और विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराते हैं। मानचित्रों के महत्त्व का अनुमान इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि भूगोल के अतिरिक्त 25 से अधिक विषय इनका प्रयोग कर रहे हैं। 

भूगोल के अतिरिक्त जो अन्य विषय मानचित्रों पर निर्भर करते हैं उनमें इतिहास, भू-विज्ञान (Geology), मृदा विज्ञान (Climatology), मौसम विज्ञान (Meterology), जल विज्ञान (Hydrology), वनस्पति विज्ञान (Botany), खगोल विज्ञान (Astronomy), मानव विज्ञान (Anthropology) आदि हैं।

पिछले कुछ वर्षों में पर्यटन तथा पत्रकारिता में मानचित्रों का महत्त्व बहुत बड़ा है। दिए गए चित्र में मानचित्रों का प्रयोग करने वाले महत्त्वपूर्ण विषयों को दर्शाया गया है।

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भूगोलवेत्ता के लिए मानचित्र का महत्व

मानचित्र भूगोलवेत्ता का एक प्रमुख एवं आवश्यक अंग है। भूगोल का सही ज्ञान कराने में मानचित्र बहुत सहायक होते हैं। भूगोल की दृष्टि से हम कह सकते हैं कि मानचित्र भूगोल के पठन-पाठन में बहुत सहायक होते हैं। मानचित्र के बिना भूगोल का अध्ययन अर्थहीन होता है। वास्तव में भूगोल तो स्वयं यात्रा करके ही सीखा जा सकता है। परन्तु जीवन भर की यात्रा हमें उतनी सूचना नहीं दे सकती जितना एक मानचित्र एक ही नजर में दे सकता है।
डॉ. एच. आर. मिल के अनुसार, “भूगोल में हमें यह सिद्धांत मान लेना चाहिए कि जिसका मानचित्र नहीं बनाया जा सकता उसका वर्णन नहीं किया जा सकता।”

निश्चित ही एक सुचारु रूप से बनाया गया मानचित्र किसी पुस्तक में सैंकड़ों पन्नों के बराबर है। एक अच्छा मानचित्र सैंकड़ों शब्दों की बचत करता है तथा तथ्यों और आँकड़ों को इतना स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करता है कि वे आसानी से समझ आ जाते हैं। मानचित्र न्यूनतम स्थान पर अधिकतम सूचना प्रस्तुत करते हैं। 

भूगोलवेत्ता की आशुलिपि (Shorthand) तथा उसकी अनुसंधान प्रयोगशाला हैं जहाँ पर वह अपने विषय का सार निकालता है। वास्तव में “मानचित्र भूगोलवेत्ता के मुख्य उपकरण हैं और मानचित्रों के बिना एक भूगोलवेत्ता हथियार रहित योद्धा के समान है” मानचित्र भूगोलवेत्ता को समस्या की तह तक जाने तथा अपने परिणाम प्रस्तुत करने में सहायक होता है। मानचित्र का महत्त्व और उसका इतिहास Maanachitr ka mahattv aur usaka itihaas 

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जनसंख्या में मानचित्र का महत्व

तीव्र गति से बढ़ रही विश्व जनसंख्या के कारण उपलब्ध संसाधनों पर दबाव बढ़ रहा है और उनके लिए प्रतिस्पर्धा में वृद्धि हो रही है जिस कारण भौतिक तथा सामाजिक वातावरण का अध्ययन अनिवार्य हो गया है। इसमें जनसंख्या से प्रदूषण तथा खाद्योत्पादन से ऊर्जा के स्रोतों तक के विषय सम्मिलित हैं। इन समस्याओं को समझने तथा सुलझाने के लिए भूगोलवेत्ता तथा अन्य सम्बन्धित क्षेत्रों के विशेषज्ञों के लिए मानचित्र एक अनिवार्य शस्त्र है।

भूगोल का सही अध्ययन उस स्थान के प्रत्यक्ष देखने से होता है, परन्तु सम्भव नहीं। मानचित्रों का अध्ययन करने से हम घर बैठे ही उन स्थानों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं जहाँ हमारा जाना कठिन होता है।

एटलस मानचित्र का महत्व

पुस्तक के रूप में मानचित्रों के क्रमबद्ध एवं व्यवस्थित संग्रह को एटलस कहते हैं। ये भी छोटी मापनी पर बनाए जाते हैं। ये मानचित्र विश्व के विभिन्न क्षेत्रों के भौतिक तथा मानवीय लक्षणों का सामान्य चित्र प्रस्तुत करते हैं।
(i) इनका मापक छोटा होता है।
(ii) इनमें किसी प्रदेश की प्राकृतिक बनावट व जलवायु दिखाई जाती है।
(iii) इन मानचित्रों में रंगों का प्रयोग किया जाता है।

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भित्ति मानचित्र का महत्व

भित्ति मानचित्र अपेक्षाकृत छोटी मापनी पर बनाए जाते हैं। इन्हें बड़े अक्षरों में छापा जाता है। जिससे इन पर दी हुई सूचना को दूर से पढ़ा जा सके। इनका प्रयोग अध्यापन कार्य हेतु किया जाता है।

मानचित्र कला का इतिहास

मानचित्र कला का इतिहास मानव के इतिहास जितना ही पुराना है। सबसे पुराना मानचित्र मेसोपोटामिया में पाया गया था जो 2500 ईसा पूर्व का माना जाता है। टॉलमी द्वारा निर्मित विश्व का मानचित्र यहाँ दिखाया गया है। आधुनिक मानचित्र की नींव अरब तथा यूनान के भूगोलविदों द्वारा रखी गई।

आधुनिक काल के आरम्भिक दौर में मानचित्र बनाने की कला एवं विज्ञान को पुनर्जीवित किया गया जिनमें जीऑयड़ को समतल सतह पर दर्शाने से होने वाले परिवर्तनों को कम करने का प्रयास किया गया। वायव (Aerial) फोटोग्राफी से सतह पर होने वाले सर्वेक्षणों के तरीकों को सहयोग मिला तथा वायव फोटोग्राफी ने 19वीं व 20वीं शताब्दी के मानचित्रों को बनाने के कार्य को और भी अधिक तेज कर दिया।

भारत में मानचित्र बनाने का कार्य वैदिक काल से ही आरम्भ हो गया था। आर्यभट्ट, वराहमिहिर तथा भास्कर आदि के पौराणिक ग्रन्थों में इन अभिव्यक्तियों को सिद्धान्त या नियमों के निश्चित रूप में दिखाया गया था। प्राचीन भारतीय विद्वानों ने पूरे विश्व को सात द्वीपों में बाँटा। महाभारत में माना गया था कि यह गोलाकार विश्व चारों ओर जल से घिरा है। 

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राजा अकबर के मंत्री टोडरमल ने भू-सर्वेक्षण तथा मानचित्र बनाने के कार्य को लगान वसूली प्रक्रिया का एक अभिन्न अंग बना दिया। इसके अतिरिक्त शेरशाह सूरी के लगान मानचित्रों ने मध्य काल में मानचित्र बनाने के कार्य को और अधिक समृद्ध किया। पूरे देश में तत्कालीन मानचित्रों को बनाने के लिए गहने स्थालाकृति सर्वेक्षण 1767 में सर्वे ऑफ इंडिया नामक संस्था की स्थापना के साथ किया गया। आज सर्वे ऑफ इंडिया विभिन्न मापनियों के आधार पर पूरे देश के विभिन्न विषयों से संबद्ध मानचित्र तैयार करता है।

Conclusion

तो प्रिय पाठक अब आपको इस चीज का ज्ञान हो गया होगा की मानचित्र का महत्त्व और उसका इतिहास Maanachitr ka mahattv aur usaka itihaas,इतिहास में मानचित्र का महत्व,भूगोलवेत्ता के लिए मानचित्र का महत्व,जनसंख्या में मानचित्र का महत्व,एटलस मानचित्र का महत्व,भित्ति मानचित्र का महत्व,मानचित्र कला का इतिहास Maanachitr kala ka itihaas के बारे में जानकारी मिली है। अगर आपको किसी प्रकार से इस लेख कोई गलती हो तो हमें अवश्य बताए। 

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नमस्कार दोस्तों, मैं अमजद अली, Achiverce Information का Author हूँ. Education की बात करूँ तो मैंने Graduate B.A Program Delhi University से किया हूँ और तकनीकी शिक्षा की बात करे तो मैने Information Technology (I.T) Web development का भी ज्ञान लिया है मुझे नयी नयी Technology से सम्बंधित चीज़ों को सीखना और दूसरों को सिखाने में बड़ा मज़ा आता है. इसलिए मैने इस Blog को दुसरो को तकनीक और शिक्षा से जुड़े जानकारी देने के लिए बनाया है मेरी आपसे विनती है की आप लोग इसी तरह हमारा सहयोग देते रहिये और हम आपके लिए नईं-नईं जानकारी उपलब्ध करवाते रहेंगे

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