भू-आकृति विज्ञान क्या है? भू-आकृति की परिभाषा

 आपका स्वागत है हमारे Achiverce Information में तो इस पोस्ट में आपको बताने जा रहे भू-आकृति विज्ञान क्या है?bhoo-aakrti vigyaan kya hai,भू-आकृति की परिभाषा bhoo-aakrti kee paribhaasha और  भू- आकृति की स्थलकृतियाॅं आदि विषय पर हमने इस पोस्ट में जानकारी देने का प्रयास किया है।  

भू-आकृति विज्ञान क्या है?bhoo-aakrti vigyaan kya hai

भू-आकृति की परिभाषा :-भू-आकृति विज्ञान वह विज्ञान है जिसमें स्थलाकृति की उत्त्पत्ति के विषय में अध्ययन करते हैं। इसमें उनकी उत्पत्ति तथा विकास का अध्ययन किया जाता है।

1. V आकार की घाटी (V Shaped valley) एक नदी घाटी जिसका शीर्ष भाग चौड़ा तथा तली गहरी संकरी होती हैं घाटियाँ पर्वतीय क्षेत्रों में मिलती हैं और नदी द्वारा बनाई जाती हैं।

 2. महाखड्ड (गोर्ज) (Gorge) उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में जहाँ नदी काफी गहराई में बहती है। जहाँ चट्टानें कठोर होती हैं जहाँ नदी के दोनों ओर T आकार की दीवारें बन जाती है। यहाँ बड़ी संकीर्ण पाटी बन जाती है और गहराई के लगातार बढ़ने से महाखड बन जाते हैं।भू-आकृति विज्ञान क्या है?bhoo-aakrti vigyaan kya hai

 3. केनियन (Canyon)- अत्यधिक गहरे, संकरे और विशाल महाखड जिनके ढाल बहुत तेज होते हैं, कंनियन कहलाते

4.जल प्रपात (Water falls)-जब नदी कगार पर ऊपर से सीधी नीचे गिरती है तो उसे जल प्रपात कहते हैं।

5.”जलोढ़ पंखे (Alluvial fans) जहाँ नदी पर्वत से मैदान में उतरती है वहाँ पर्वतीय पादीय क्षेत्र में कुछ अवसाद का निक्षेपण होता है। मोटे कण के अवसाद जिनमे बालू, बजरी और चट्टानी टुकड़े मिलते हैं, पंखानुमा आकृति में पर्वतपाद पर जमा हो जाते हैं। इस जमाव को जलोद पंखे कहते हैं।

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6.नदी विसर्प (Meanders) बाढ़ के मैदान में नदी की टेढ़ी-मेढ़ी चाल जो सांप की भांति होती है, नदी विसर्प कहलाती है। ये विसर्प ‘एस’ (S) के आकार के होते हैं। अंग्रेजी में विसर्प को मिएंडर कहते हैं।

 7. प्राकृतिक तटबन्ध (Levees) बाढ़ के समय ही नदी के तट पर मोटे अवसादों से बने प्राकृतिक तटवन्धों का निर्माण होता है। 

8. गोखुर झील (Oxbow Lakes) विसर्फ बड़े और घुमावदार होते हैं। जब पतली ग्रीवा कट जाती है तो छोड़े हुए भाग के मुख अवसादी निक्षेषण से बंद हो जाते हैं। ऐसा छोड़ा हुआ भाग अपनी आकृति के कारण ‘गोखुर झील कहलाता है।

Geomorphology ( भू आकृति विज्ञान )

9. डेल्टा (Delta) किसी झील या समुद्र में गिरने से पूर्व नदी अपना सारा अवसाद (मिट्टी, गाद, कोच) निक्षेपित कर देती है। इससे ‘डेल्टा’ का निर्माण होता है। यह लैटिन भाषा के (∆) अक्षर के समान होता है।

10. उपनदियाँ या विभाजिकाएँ (Distributaries) समुद्र या झील में गिरने से पूर्व नदियाँ डेल्टाई क्षेत्र में अनेक शाखाओं और उपशाखाओं में विभाजित होकर समुद्र में या झील में मिल जाती हैं।

11.हिमानी (हिम नदी) (Glacier) ठोस बर्फ को मंद गति से बहने वाली नदी को हिमानी (ग्लेशियर) कहते हैं।

 12. महाद्वीपीय हिमानी (Continental Glacier) हजारों वर्ग किलोमीटर लंबे-चौड़े विशाल क्षेत्र में फैली हिम की विस्तृत चादर को महाद्वीपीय हिमानी कहते हैं, क्या आइसलैंड, उत्तरी तथा दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्रा

 13. घाटी हिमानी (Valley Glacier) उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में ऊंची घाटियों में जो हिमनी पाई जाती है, उसे पायें हिमानी कहते हैं। जैसे-भारत में सियाचिन तथा गंगोत्री

14.हिम क्षत्रक (loe Caps)-उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में भारी मोटाई में जमे बर्फ और हिम के आवरण को जिनसे हिम नदियाँ निकलती हैं, ‘हिम क्षत्रक’ कहते हैं।

 15. हिम विदा (Ice Cove)-हिम नदी में असमान गति के कारण हिम के फटने से उस पर जो दरारें पड़ जाती है, उन्हें हिम विदर कहते हैं।

16.’U’ आकार की घाटी (‘U’Shaped Falley)–हिम नदी कोई नई भाटी नहीं बनाती, बल्कि पहले से मौजूद नही घाटी को ही गहरी, चौड़ी और सीधी बनाती है। ऐसी सभी गत को ‘U’ आकार की घाटी कहते हैं।

17. हिम गहूर (Cirque) आराम कुर्सी की भांति का एक गर्त जो उच्च पर्वतीय कटक को ढाल पर हिम तथा बर्फ की अपरदन क्रिया से निर्मित होता है, हिम गहर कहा जाता है।

18. मृग (हार्न) (Horm)– जहाँ कई गद्दर पर्वत के ऊँचे भाग को चारों ओर से काटना शुरू कर देते हैं, वहाँ बीच में एक नुकीली चोटी का निर्माण होता है जिसे पिरैमिडल चोटी या मूंग (हान) कहते हैं।

 19. हिमज झील (टार्न) (farm) हिम गहर में बर्फ के पिघल जाने के बाद एक पर्वतीय झील का निर्माण होता है जिसे हिमज (टान) कहते हैं।

20. हिमोड़ (Moraines)-हिमानी द्वारा अपने अग्र भाग में निक्षेपित अवसाद हिमोढ़ (मौरेन) कहते हैं।

21.हिमन दोड़ टीले (इमलिन) (Drumlin) हिमोड निक्षेप से बने छोटे-छोटे टीलों को हिमोद टीले (ड्रमलिन) कहते है।

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22. हिमनद कटक (Excar) हिमानी निक्षेपण मे कुछ लंबे टेढ़े-मेढ़े कटक भी बनते हैं जो देखने में प्राकृतिक बांध जैसे लगते हैं ये बालू, बजरी, मिट्टी और गोलाश्मों से बने होते हैं। इनका निक्षेपण हिमानी के अन्दर बनने वाली जल धाराओं के द्वारा होता है। जब हिमानी पिचल कर नष्ट हो जाती है तो अंतः हिमानी के ये अवसाद उसी स्थान पर ज्यों के त्यो निक्षेपित हो जाते हैं। इस प्रकार बनी स्थलाकृतियों को हिमनद कटक कहते हैं।

23.छत्रक शैल (Mushroom Rocks) मरुस्थलीय क्षेत्रों में पवन की अपरदन क्रिया से निर्मित छतरीनुमा आकृति की ‘चट्टान को ‘छत्रक’ शैल कहते हैं।

24. बालू के टीले (Sanddine)-तेज पवन द्वारा मरुस्थलीय भू-भागों में बारीक रेत उड़कर अन्य स्थानों पर एकत्र हो जाती है। इनके शीर्ष लंबे या चोटीनुमा होते हैं। ये वहीं पाए जाते हैं जहाँ चालू के स्रोत मौजूद हो।

25. बारखान (Barkhan)-एक विशेष आकृति का बालू का टीला जिसका अग्र भाग अर्धचंद्राकार होता है और उसके दोनों सिरों पर आगे की ओर एक सींग जैसी आकृति निकली रहती है।

26. अनुदैर्ध्य टोले (Seif of Longitudinal Sanddunes) लंबे और पतले बालू के फटक को जो भवन की समानान्तर दिशा में दूर तक फैले रहते हैं अनुदैर्ध्य टोले कहते हैं।

27. समुद्री भृगु (Sen Cliffs)– जब समुद्र तट पर किनारे की चट्टानें बिल्कुल खड़ी हो तो उसे समुद्री भृग कहते हैं। 28. पुलिन (Beach or Lagoon) इस पर भाय जल स्तर और समुद्रतटीय रेखा के मध्य बालू, बजरी तथा गोलाश्म अस्थायी रूप से जमा होते रहते हैं।

 29. भूजिड़ा (Spir)- अवसादों से बने उस कटक या बाँध के समान आकृति को कहते हैं जिसका एक सिरा तट से जुड़ा होता है तथा दूसरा सिरा समुद्र की ओर होता है।

30. नट रेखा (Coaniline)– समुद्र तट और समुद्री किनारे के मध्य स्थित सीमा रेखा को वट रेखा कहते हैं। 31. फीवर्ड तट (Florid Coast) किसी हिमानीकृत उच्च भूमि के अंशतः धंस जाने से फोयर्ड तट का निर्माण होता है। 

32. रिया तट (Ria Coast) नदियों द्वारा अपरदित उच्च भूमि के धँसने से रिया तट का निर्माण होता है।

 

डेल्टा की रचना कैसे होती है?

जब नदी समुद्र से मिलती है, तब बहाकर लाई हुई मिट्टी, बालू का एक ढेर-सा इकट्ठा हो जाता है। इस निक्षेप का आकार तिकोना होता है जैसा नीचे चित्र में दिखाया गया है। इस प्रकार बने हुए भू-भाग को डेल्टा कहते हैं bhoo-aakrti vigyaan kya hai

भू-आकृति विज्ञान क्या है?
डेल्टा चित्र


डेल्टा बनने के लिए निम्नलिखित दशाओं का होना अनिवार्य है

(1) नदी ऊँचे पहाड़ों से निकलती हो और उसकी सहायक नदियाँ काफी मिट्टी, बालू बहाकर लाती हैं

(2) नदी के मुहाने पर ज्वार-भाटा न आता हो।

(3) नदी के रास्ते में बड़ी-बड़ी झीलें न हों अन्यथा उसके द्वारा बहाकर लाई हुई मिट्टी, बालू वहाँ रुक जाएगी। 

(4) नदी की निचली घाटी काफी लंबी-चौड़ी हो ताकि धारा के धीमे पड़ने पर मिट्टी, बालू का निक्षेप हो सके। डेल्टा का धरातल बिल्कुल सपाट होता है। इस पर नदी छोटी-छोटी धाराओं में विभाजित होकर बहती है। यह प्रदेश बहुत उपजाऊ होता है। गंगा, ब्रह्मपुत्र, यांगटिसी, मीकांग, दरानदी,दजला, फरात तथा मिसीसिपी आदि नदियाँ डेल्टा बनाती हैं।

एश्चुरी या ज्वारनदमुख से आप क्या समझते हैं?

उत्तर- जिन नदियों के मुहाने पर समुद्र का जल शांत नहीं रहता अथवा जहाँ ज्वार-भाटा आते रहते हैं वहाँ नदियों द्वारा लाए हुए अवसाद का निक्षेपण नहीं हो पाता। ज्वार-भाटा की लहरें इस अवसाद को अपने साथ बहाकर समुद्र में अन्दर ले जाती हैं। इसलिए ऐसी नदियों के मुहाने कुप्पी की तरह खुले रहते हैं। इस भू-आकार को एस्चुरी (Estuary) कहते है

लोयस किसे कहते हैं? 

लोयस (Loess Deposits), पर्व -पवन द्वारा अपवाहित महीन कणों के अवसाद को ‘लोएस’ कहते हैं। यह क्रिया विशेष रूप से मरुस्थलीय क्षेत्रों में होती है। इन महीन कणों में आपस में चिपकने की क्षमता होती है। अतः ये विशेष स्थलाकृतियों का निर्माण करते हैं। यह कम वर्षा वाले क्षेत्रों में जर्मा होता है जहाँ जमीन पर धूल के कणों को बाँध सकने वाली घासें होती हैं। लोएस वहीं रुक जाता है। लोएस मुलायम होता है।

बालू के टीले  क्या है? 

बालू के टीले (Sanddunes) — ये टीले बालू से निर्मित कटक और छोटी पहाड़ियों के रूप में पाए जाते हैं। इनके शीर्ष लंबे और चोटीनुमा होते हैं। ये वहाँ पाए जाते हैं जहाँ बालू के स्रोत हों, बालू को अपवाहित करने वाले तेज पवन हों और कोई अवशेष भी मौजूद हो जो पवन की ताकत को कम करके इस अवसाद को छोड़ने और जमा करने को बाध्य करे। इन बालू के टीलों की ऊँचाई एक-दो मीटर से 150 मीटर तक होती है।

बारखान किसे कहते हैं? 

• बारखान (Barkhans) – यह एक विशेष आकृति वाला बालू का टीला होता है जिसका अग्रभाग अर्ध-चन्द्राकार होता है और उसके दोनों सिरों पर आगे की ओर एक सींग जैसी आकृति निकली रहती है। आगे वाली पवनाविमुख ढाल तीव्र होती है। इसके विपरीत पवनाभिमुख ढाल उत्तल तथा मंद होती है। इसकी ऊँचाई 30 मीटर तक हो सकती है। राजस्थान न के बाड़मेर क्षेत्र में इस प्रकार की स्थलाकृतियाँ प्रायः देखने को मिलती हैं।

भू-आकृति विज्ञान क्या है
बारखान का चित्र

गुम्फित नदी का निर्माण किस प्रकार होता है?

गुंफित नदी (Braided Stream) नदी घाटी के निचले भाग में नदी की भार वहन क्षमता बहुत कम हो जाती है। नदी अत्यधिक अवसाद छोड़ने लगती है। यहाँ सबसे अधिक निक्षेपण कार्य होता है। नदी अपने तल पर ही निक्षेपण करने लगती है जिससे उसकी धारा अवरुद्ध होने लगती है और कई शाखाओं में बंट जाती है। विभक्त धाराओं का एक जाल-सा बन जाता है। धाराएँ बालू की बनी अवरोधिकाओं द्वारा एक-दूसरे से अलग होती हैं। अनेक शाखाओं वाली ऐसी नदी को गुफित नदी कहते हैं।

भू-आकृति विज्ञान क्या है
गुम्फित नदी

Conclusion

तो प्रिय पाठक अब आपको इस चीज का ज्ञान हो गया होगा की भू-आकृति विज्ञान क्या है?bhoo-aakrti vigyaan kya hai,भू-आकृति की परिभाषा bhoo-aakrti kee paribhaasha और भू- आकृति की स्थलकृतियाॅं के बारे में जानकारी मिली है। अगर आपको किसी प्रकार से इस लेख कोई गलती हो तो हमें अवश्य बताए । 

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